बिहार में जहां टॉपर्स घोटाले को लेकर बदनामी हुई है, वहीं रूबी राय की जगह ऑखों की रोशनी से मरहूम कुछ छात्राओं ने इस कलंक को धोने का काम किया है। इन छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा में सफलता हासिल कर बता दिया है कि मुश्किल कुछ नहीं होता और बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है।
पटना के अंतर ज्योति बालिक विद्यालय की 11 छात्राओं में से 10 ने मैट्रिक की परीक्षा में 60 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए है, इन छात्राओं की खुशी इनके चेहरे से झलक रही है।
ये सभी दिव्यांग छात्राएं अपनी सफलता से बेहद खुश हैं, लेकिन इस बात का इन्हें मलाल भी है कि कुछ लोगों के कारण बिहार की बदनामी हो रही है। एक छात्रा परवीन का कहना है कि मैं चाहती हूं कि स्टूडेंट्स मेहनत से पास करें ताकि बिहार की बदनामी ना हो, साथ ही कुछ पैरेंट्स कदाचार और नकल कर अपने बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं। एेसा नहीं होना चाहिए।
अंतरज्योति बालिका विद्यालय को नेत्रहीन परिषद् समाजिक सहयोग से संचालित करता है, यही वजह है कि इन छात्राओं की ये सफलता इसे संचालित करनेवाले लोगों के लिए भी गर्व की बात है।
अंतरज्योति बालिका विद्यालय की प्रिंसिपल नंदा सहाय का कहना है कि मेरी छात्राएं भले ही देख नहीं पाती हैं लेकिन इनकी इच्छाशक्ति काफी मजबूत है और मेहनत के दम पर आगे बढ़ना चाहती हैं। मुझे गर्व है कि जहां बिहार की बदनामी हो रही है वहीं इन छात्राओं ने ईमानदारी से परीक्षा पास की है और स्कूल का, बिहार का नाम रौशन किया है।
मैट्रिक के बाद इंटर की पढ़ाई के लिए दिल्ली जा रही इन छात्राओं में से कोई प्रोफेसर बनना चाहती हैं तो कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर। जाहिर है आंखों में भले ही रोशनी न हो लेकिन अपनी प्रतिभा के जरिए सूबे का नाम रोशन करने की चाहत इनके अंदर आसमान छू रहा है।
