18 जून का दिन भारतीय वायुसेना के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। शनिवार को पहली बार तीन महिला अधिकारी वायुसेना में भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट के तौर पर शामिल हुईं। लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ ने देश का नाम रोशन किया है। देश की ये तीनों बेटियां आज लड़ाकू विमान के पायलट सीट पर बैठकर आसमान में अपने सपने साकर करती दिखेंगी।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दी बधाई…
मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तीनों महिला फाइटर पायलट को बधाई दी। उन्होंने कहा कि, पूरे प्रदेश को अवनी पर गर्व है। गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने महिलाओं को बतौर फाइटर पायलट वायुसेना में लेने की मंजूरी दी थी।
तीनों कैडेट्स ने हैदराबाद से ली ट्रेनिंग
– अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत, देश की पहली महिला फाइटर पायलट हैं।
– तीनों पायलट्स की फ्लाइंग ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई थी।
– एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल अरुप राहा ने मार्च में वुमन डे पर इसका एलान किया था।
– ट्रेनिंग कम्पलीट होने के बाद शनिवार को उनकी पासिंग आउट परेड हुई।
– इन तीनों पायलेट्स को जेट प्लेन की ट्रेनिंग भी दी गई। उनकी पोस्टिंग रेग्युलर स्क्वॉड में हुई।
– अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत, देश की पहली महिला फाइटर पायलट हैं।
– तीनों पायलट्स की फ्लाइंग ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई थी।
– एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल अरुप राहा ने मार्च में वुमन डे पर इसका एलान किया था।
– ट्रेनिंग कम्पलीट होने के बाद शनिवार को उनकी पासिंग आउट परेड हुई।
– इन तीनों पायलेट्स को जेट प्लेन की ट्रेनिंग भी दी गई। उनकी पोस्टिंग रेग्युलर स्क्वॉड में हुई।
कौन हैं ये तीनों पायलट?
-अवनी मध्य प्रदेश के रीवा से हैं। उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और भाई आर्मी में हैं।
-भावना बिहार के बेगूसराय की रहने वाली हैं।
-मोहना गुजरात के वडोदरा की हैं। उनके पिता एयरफोर्स में वारंट ऑफिसर हैं।
-अवनी मध्य प्रदेश के रीवा से हैं। उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और भाई आर्मी में हैं।
-भावना बिहार के बेगूसराय की रहने वाली हैं।
-मोहना गुजरात के वडोदरा की हैं। उनके पिता एयरफोर्स में वारंट ऑफिसर हैं।
फाइनल ट्रेनिंग हॉक एडवांस जेट ट्रेनर पर ली
– आईएएफ एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद स्टेज-3 में छह महीने के लिए फाइनल ट्रेनिंग हॉक एडवांस जेट ट्रेनर पर ली।
– 2017 में वे पूरी तरह से फाइटर पायलट बन जाएंगी।
– आईएएफ एकेडमी से ग्रेजुएट होने के बाद स्टेज-3 में छह महीने के लिए फाइनल ट्रेनिंग हॉक एडवांस जेट ट्रेनर पर ली।
– 2017 में वे पूरी तरह से फाइटर पायलट बन जाएंगी।
थ्रिल लाइफ के लिए तैयार तीनों कैडेट
– फ्लाइंग कैडेट भावना कांत कहती हैं, “अभी तो कुछ खास महसूस नहीं हो रहा है। हमारा पूरा फोकस अपने इन्स्ट्रक्टर्स की उम्मीदों पर खरे उतरने और सारे एग्जाम्स क्लियर करने पर है।”
– मोहना सिंह कहती हैं, “फाइटर पायलट बनना मेरा बचपन का सपना था। हमें कोई छूट नहीं है। फिजिकल फिटनेस या मेंटल रोबस्टनेस और टेस्ट्स, सभी कुछ सेम है।”
– अवनी चतुर्वेदी कहती हैं, “यह एक बहुत ही एडवेंचरस लाइफ है। कोई भी एयर फोर्स अपने फाइटर्स से ही डिफाइन होती है। हम सभी थ्रिल्ड हैं।”
– IAF हेडक्वार्टर्स के सूत्रों ने कहा, “यह हमारे लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस है। ऐसा पहली बार होगा कि वुमन कैडेट्स फाइटर एयरक्राफ्ट की कॉकपिट में बैठेंगी। यह हम सब के लिए भी एक लेसन है। उनके एक्सपीरियंस से हमें फायदा होगा।”
– फ्लाइंग कैडेट भावना कांत कहती हैं, “अभी तो कुछ खास महसूस नहीं हो रहा है। हमारा पूरा फोकस अपने इन्स्ट्रक्टर्स की उम्मीदों पर खरे उतरने और सारे एग्जाम्स क्लियर करने पर है।”
– मोहना सिंह कहती हैं, “फाइटर पायलट बनना मेरा बचपन का सपना था। हमें कोई छूट नहीं है। फिजिकल फिटनेस या मेंटल रोबस्टनेस और टेस्ट्स, सभी कुछ सेम है।”
– अवनी चतुर्वेदी कहती हैं, “यह एक बहुत ही एडवेंचरस लाइफ है। कोई भी एयर फोर्स अपने फाइटर्स से ही डिफाइन होती है। हम सभी थ्रिल्ड हैं।”
– IAF हेडक्वार्टर्स के सूत्रों ने कहा, “यह हमारे लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस है। ऐसा पहली बार होगा कि वुमन कैडेट्स फाइटर एयरक्राफ्ट की कॉकपिट में बैठेंगी। यह हम सब के लिए भी एक लेसन है। उनके एक्सपीरियंस से हमें फायदा होगा।”
सेना में महिलाओं ने ऐसे जीती लड़ाई
– महिलाओं को आर्मंड फोर्सेज ज्वाइन करने की मंजूरी 1990 की शुरुआत में मिली थी।
– कानूनी लड़ाई और पॉलिसी में बदलाव के बाद महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने पर सहमति बनी। इनकी संख्या अभी 340 है।
– 1991 में पहली बार वुमन पायलेट्स ने हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाना शुरू किया।
– 2012 में 2 वुमन फ्लाइट लेफ्टिनेंट अलका शुक्ला और एमपी शुमाथि ने लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स के लिए ट्रेनिंग पूरी की।
– फरवरी 2016 में प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने संसद में एलान किया कि सेना में महिलाएं आगे चलकर सभी कॉम्बेट रोल्स निभाएंगी।
– महिलाओं को आर्मंड फोर्सेज ज्वाइन करने की मंजूरी 1990 की शुरुआत में मिली थी।
– कानूनी लड़ाई और पॉलिसी में बदलाव के बाद महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने पर सहमति बनी। इनकी संख्या अभी 340 है।
– 1991 में पहली बार वुमन पायलेट्स ने हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाना शुरू किया।
– 2012 में 2 वुमन फ्लाइट लेफ्टिनेंट अलका शुक्ला और एमपी शुमाथि ने लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स के लिए ट्रेनिंग पूरी की।
– फरवरी 2016 में प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने संसद में एलान किया कि सेना में महिलाएं आगे चलकर सभी कॉम्बेट रोल्स निभाएंगी।
इंडियन आर्मंड फोर्सेज में वुमन ऑफिसर्स
– आर्मी : 1436
– एयर फोर्स : 1331
– IAF में पायलट : 94
– नेवी : 413
– आर्मी : 1436
– एयर फोर्स : 1331
– IAF में पायलट : 94
– नेवी : 413
