16 साल के लंबे अंतराल के बाद बिहार में क्रिकेट का वनवास अब समाप्त हो गया है। बिहार में क्रिकेट को पूर्ण मान्यता मिल गयी है जिसके बाद राज्य के क्रिकेटरों को रणजी जैसे बड़े मैचों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।
लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए बनी कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर (सीओए) की तरफ से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर नया संविधान अपलोड किया है।
इस संविधान में बिहार सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को पूर्ण मान्यता दी गयी है साथ ही बिहार को बीसीसीआई में वोट देने का अधिकार मिला है। बीसीसीआई ने सूची जारी कर इसकी जानकारी दी है।
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इस सूची में पहली बार बिहार का नाम शामिल किया गया है। लोढा कमिटी ने एक राज्य,एक वोट की सिफारिश की थी। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि बीसीसीआई के इस फैसले से बिहार के क्रिकेटरों का रणजी में खेलने का रास्ता साफ हो गया है।
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पूर्ण मान्यता मिलने के साथ ही बिहार के क्रिकेटरों का 16 वर्षों का वनवास खत्म हो जायेगा। क्रिकेट की पूर्ण मान्यता की आस में बिहार में दो पीढ़ियां अपना करियर गंवा चुकी हैं। 2000 में झारखंड से बंटवारा होने के बाद अब तक बिहार के क्रिकेटर दूसरे राज्यों से खेलते है।
