टाइम्स नाउ-सी वोटर के पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच बहुत ही कड़ा मुकाबला है।
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान जोरों पर है। हो भी क्यों नहीं, 28 अक्टूबर को ही पहले चरण के लिए वोटिंग होनी है। इस बीच हमारे सहयोगी टाइम्स नाउ और सी-वोटर सर्वे के नतीजे बिहार में एनडीए के लिए खतरे की घंटी की ओर इशारा कर रहे हैं। पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए को कुल मिलाकर 34.4 प्रतिशत वोट मिल सकता है। महागठबंधन से उसे कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है और उसे 31.8 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। वोट प्रतिशत के मामले में भले ही एनडीए को मामूली बढ़त मिलती दिख रही है लेकिन खतरे का संकेत इस बात में छिपा है कि जितने लोग पीएम मोदी से संतुष्ट हैं, उससे बहुत कम लोग सीएम नीतीश से संतुष्ट हैं। करीब एक चौथाई लोगों ने अभी मन ही नहीं बनाया है कि किसे वोट दें। यह भी एनडीए के लिए खतरे की घंटी है।
बिहार का चुनावी सर्वे: किसको मिल सकते हैं कितने प्रतिशत वोट
हम ऊपर बता चुके हैं कि एनडीए को 34.4 प्रतिशत और महागठबंधन को 31.8 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। एनडीए में बीजपी, जेडीयू, जीतन राम मांझी की हम, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई-एमएल शामिल हैं। एनडीए से अलग हो चुनाव लड़ी रही चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 5.2 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। अन्य के खाते में 4.5 प्रतिशत वोट जा सकते हैं। LJP और RJD मिल गयी साथ तो बढ़ेगी NDA की परेशानी
करीब एक चौथाई वोटर अभी नहीं तय पाए किसे दें वोट
खास बात यह है कि 24.1 प्रतिशत यानी तकरीब एक चौथाई वोटर अभी तय नहीं कर पाए हैं कि चुनाव में किसे वोट दें। यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। इन अनडिसाइडेड वोटरों का झुकाव जिधर ज्यादा होगा, चुनाव के नतीजे उस के पक्ष में जा सकते हैं। इसका एक मतलब यह भी हुआ कि महागठबंधन के लिए अभी मैदान खुला हुआ है। अगर वह जोर लगाए तो करीब ढाई प्रतिशत के अंतर को न सिर्फ पाट सकता है बल्कि इसे बढ़त में भी तब्दील कर सकता है। दूसरी तरफ, एनडीए भी अनडिसाइडेड वोटरों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी।
नीतीश के कामकाज से 40.42 प्रतिशत लोग पूरी तरह असंतुष्ट
बात अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करें तो 27.43 प्रतिशत लोग उनके परफॉर्मेंस से बहुत संतुष्ट, 31.54 प्रतिशत कुछ हद तक संतुष्ट और 40.42 प्रतिशत लोग बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। अगर उनके सरकार के परफॉर्मेंस की बात करें तो 28.77 प्रतिशत बहुत संतुष्ट, 29.2 प्रतिशत कुछ हद तक संतुष्ट और 41.22 प्रतिशत बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं।
