गाँधीजी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटीफुल ट्री’ (The beautiful tree) कहा करते थे। इसके पीछे कारण यह था कि गाँधी ने भारत की शिक्षा के बारे में जो कुछ पढ़ा था, उससे पाया था कि भारत में शिक्षा सरकारों के बजाय समाज के अधीन थी।
स्व. डॉ॰ धर्मपाल प्रसिद्ध गाँधीवादी चिन्तक रहे हैं। उन्होंने भारतीय ज्ञान, विज्ञान, समाज, राजनीति और शिक्षा को लेकर बहुत ही महत्वपूर्ण शोध किया है। गाँधी के वाक्य ‘द ब्यूटीफुल ट्री’ को जस का तस लेकर डॉ॰ धर्मपाल ने अपना शोध शुरू किया और अँगरेजों और उससे पूर्व के समस्त दस्तावेज खंगाले। जो कुछ भारत में मिला उन्हें संग्रहालयों और ग्रंथालयों से लिया और जो जानकारी भारत से बाहर ईस्ट इंडिया कंपनी और यहाँ तक कि सर टामस रो से लेकर अँगरेजों के भारत छोड़ने तक की, इंग्लैंड में उपलब्ध थी, उसे वहाँ जाकर खोजा।
धर्मपालजी ने अँगरेजकालीन घटनाओं का जो ऐतिहासिक अन्वेषण कर यह साबित किया कि जिस प्रकार उन लोगों ने न केवल हमारे अर्थशास्त्र और कुटीर उद्योग को समाप्त कर हमारे पूरे अर्थतंत्र को डस लिया, बल्कि भारत का सांस्कृतिक, साहित्यिक, नैतिक और आध्यात्मिक विखंडन भी किया जिससे भारत अपना भारतपन ही भूल गया और अँगरेजी शिक्षा से आच्छन्न यहाँ के कुछ बड़े घरानों के लोग भारत भाग्य विधाता बन गए।
गांधी जी ने शिक्षा के अधोलिखित आधारभूत सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है-
(1) 7 से 14 वर्ष की आयु के बालकों की निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा हो
(2) शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।
(3) साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।
(4) शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करना है।
(5) शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक के शरीर, हृदय, मन और आत्मा का सामंजस्यपूर्ण विकास हो।
(6) सभी विषयों की शिक्षा स्थानीय उत्पादन उद्योगों के माध्यम से दी जाए।
(7) शिक्षा ऐसी हो जो नवयुवकों को बेरोजगारी से मुक्त कर सके।
अतः गांधीजी के अनुसार शिक्षा का अर्थ – बालक और मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क और आत्मा में जाये जाने वाले सर्वोत्तम गुणों का चहुंमुखी विकास करना है। अतः बालक के सर्वांगीण विकास हेतु उसके शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक गुणों का विकास करना।
गाँधी जयंती की आप सबको बहुत बधाई, विशेष गाँधी जयंती है ये, जहा पूरा विश्व 150वी गाँधी जी की जयंती माना रहा है। गाँधी जी के जीवन पर एक विशेष वीडियो बनाया है जिसे आप सब देखे और अन्य लोगो तक शेयर करे:
