शिक्षकों का भी मानना है कि जो चीजें किताबों में बच्चों को अक्षर और तस्वीरों के जरिए समझाई जाती थीं. अब वही विषयवस्तु टेलीविजन के जरिए बच्चे सीखेंगे. दरअसल कुछ साल पहले बिहार के पिछड़े जिलों में शुमार बांका के डीएम कुंदन कुमार और छपरा के रितेश सिंह (IIT दिल्ली से पढ़े) की एक नई सोच ने क्रांति सी पैदा कर दी.
पहले बांका के 5 स्कूलों में उन्नयन बांका नाम से एक कार्यक्रम चलाया फिर बांका के 40 और फिर बांका में 18 महीने तक इसे सफलतापूर्वक चलाया. ये कार्यक्रम छात्र और छात्राओं में इतना लोकप्रिय हुआ कि इसकी चर्चा बिहार के बाहर होने लगी.
बिहार के बच्चे अब पढ़ाई में भी स्मार्ट बनेंगे. बिहार के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छात्र और छात्राओं को सिलेबस की पढ़ाई बड़ी टेलीविजन स्क्रीन और मोबाइल एप के जरिए दी जाएगी. उन्नयन बांका के तर्ज पर पूरे बिहार में लागू हो रहे इस मॉडल को नाम दिया गया है उन्नयन बिहार कार्यक्रम. इस कार्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षकों को अभी ट्रेनिंग दी जा रही है फिर यहीं ट्रेंड शिक्षक बिहार के बच्चों को स्मार्ट बनाएंगे.
बिहार सरकार उन्नयन बिहार कार्यक्रम के तहत उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दिला रही है. उन्नयन बिहार कार्यक्रम के तहत बिहार सरकार ने 5 हजार 726 उच्च माध्यमिक विद्यालयों का चयन किया है. शिक्षकों का भी मानना है कि जो चीजें किताबों में बच्चों को अक्षर और तस्वीरों के जरिए समझाई जाती थीं. अब वही विषयवस्तु टेलीविजन के जरिए बच्चे सीखेंगे. दरअसल कुछ साल पहले बिहार के पिछड़े जिलों में शुमार बांका के डीएम कुंदन कुमार और छपरा के रितेश सिंह (IIT दिल्ली से पढ़े) की एक नई सोच ने क्रांति सी पैदा कर दी.
पहले बांका के 5 स्कूलों में उन्नयन बांका नाम से एक कार्यक्रम चलाया फिर बांका के 40 और फिर बांका में 18 महीने तक इसे सफलतापूर्वक चलाया. ये कार्यक्रम छात्र और छात्राओं में इतना लोकप्रिय हुआ कि इसकी चर्चा बिहार के बाहर होने लगी. कुंदन कुमार को उन्नयन बांका के लिए मुख्यमंत्री एक्सलेंस अवॉर्ड, कलाम इनोवेशन आइडिया जैसे अवॉर्ड मिला. बाद में शिक्षा विभाग ने इसे राज्य के सभी हायर सेकेंडरी स्कूल में लागू करने का फैसला किया जिसके तहत स्कूलों को 90 -90 हजार की राशि भी उपलब्ध कराई गई.
अब प्रश्न ये उठता है कि उन्नयन बांका या उन्नयन बिहार कार्यक्रम क्या है? इसे कैसे लागू किया जाएगा? दरअसल बिहार में बच्चों को अभी किताब के जरिए पढ़ाई कराई जाती है. उन्नयन बिहार कार्यक्रम के तहत छात्र और छात्राओं को 55 इंच की टेलीविजन स्क्रीन पर सिलेबस की सभी चीजें पढ़ाई जाएंगी. एलइडी स्क्रीन में एक पेनड्राइव लगाई जाती है जिसमें संबंधित क्लास के सिलेबस का वीडियो होता है. मान लीजिए कि फिजिक्स के बच्चों को बल यानि फोर्स को समझना है तो अभी शिक्षक उन्हें किताब के जरिए समझाते हैं लेकिन स्मार्ट क्लास में सबसे पहले छात्रों को बल से संबंधित एक वीडियो दिखाया जाएगा. वीडियो के साथ-साथ अक्षर भी टेलीविजन स्क्रीन पर आएगा.
इसके लिए सटीक उदाहरण भी बच्चों को दिखाया जाएगा. बाहुबली फिल्म में भल्लालदेव ने फोर्स यानि बल का किस तरह से इस्तेमाल किया. इसके जरिए बच्चों को बल समझाया जाएगा. आईआईटी से पढ़े इंजीनियरों की टीम ने कंपनी बनाई है जो सिलेबस का वीडियो, एनीमेशन, ग्राफिक्स एसइआरटी को भेजता है. एसइआरटी की मंजूरी के बाद इस वीडियो सार्वजनिक किया जाता है. उन्नयन बिहार कार्यक्रम में स्कूलों को 55 इंच की एलइडी स्क्रीन, इनवर्टर, स्पीकर, पेनड्राइव, व्हाइट ब्लैक बोर्ड स्कूलों को मुहैया कराया गया है. यहीं नहीं अगर बच्चे स्कूल नहीं आ पाए तो इसकी भी व्यवस्था उन्नयन बिहार कार्यक्रम में की गई है.
मेरा मोबाइल, मेरा विद्यालय नाम ऐप
छात्रों के लिए मेरा मोबाइल, मेरा विद्यालय नाम का ऐप भी चलाया जा रहा है. अगर इस ऐप को स्मार्ट फोन पर बच्चे देखते हैं तो उन्हें भी सिलेबस की सभी चीजें पढ़ने को मिलेगी. वो सवाल भी पूछ सकते हैं और बच्चों को एक्सपर्ट की टीम जवाब भी दे सकती है. उन्नयन बिहार कार्यक्रम की सफलता मास्टर ट्रेनर की पढ़ाई के कौशल और प्रिंसिपल पर भी निर्भर है. हालांकि स्कूलों के प्रिंसिपल को भी लगता है बिहार के दिन पढ़ाई में बहुरेंगे. ये उन्नयन बांका मॉडल का ही कमाल था कि इसे पूरे बिहार में लागू किया गया और अब इसी कार्यक्रम को झारखंड सहित देश के दूसरे हिस्सों में भी लागू किया जाएगा.
